बहुत कम लोग विज्ञान के साथ साथ रचनात्मक क्षेत्र में खुद को सफलतापूर्वक स्थापित कर पाते हैं। कलात्मक चेतना और वैज्ञानिक मानसिकता का ऐसा ही दुर्लभ संयोजन है योजना साह जैन। योजना मूलतः खैरना नैनीताल से हैं और उनके माता पिता श्रीमती मीना साह और श्री भुवन लाल साह वर्तमान में देहरादून निवासी हैं। उत्तराखंड में वे बागेश्वर, पौड़ी, श्रीनगर, और देहरादून में रहीं और पढ़ी हैं। इन्होंने अपनी स्नातक गढ़वाल विश्वविद्यालय और मास्टर्स बिरला इंस्टीटयूट ऑफ टेकनोलॉजी एंड साइंस, पिलानी, राजस्थान से की है, साथ ही इन्होनें सिंबायोसिस पुणे से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स भी किया है। अभी डॉक्ट्रेट कर रही योजना पिछले पंद्रह सालों से जानी मानी फार्मा कंपनियों में उच्च पदों पे कार्यरत रही हैं।
व्यावसायिक क्षेत्र में सफल कैरियर के साथ साथ बचपन के अपने लेखन के शौक को भी इतने साल उन्होंने जीवित रखा और इसी का परिणाम है उनका नया हिंदी काव्य संकलन ‘काग़ज़ पे फुदकती गिलहरियां’। यह काव्य संकलन देश के प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थान ‘भारतीय ज्ञानपीठ’ से प्रकाशित हुआ है।
योजना अपने परिवार के साथ योजना आजकल जर्मनी में रहती हैं। एक अप्रवासी भारतीय होने और अंग्रेज़ी के माहौल में रहने और काम करने के बाद भी उनका हिंदी प्रेम और साहित्य सृजन प्रेरणादायक है। योजना के अनुसार सफलता पाने के लिए सपने देखना पहला और सबसे जरूरी कदम है और उन सपनों को साकार करने के लिए अगर हम जी तोड़ मेहनत और लगन से लग जाएं तो कुछ भी नामुमकिन नहीं।