मुन्नार – कोडाइकनाल राजमार्ग पर ही मुन्नार से लगभग 20 किलोमीटर आगे एक और डैम है। नाम है कुंडला डैम। यह डैम एक आर्टिफिशियल डैम है व एशिया का पहला ऐसा डैम है जो सीधा ना होकर आर्च के आकार में हैं। लगभग 5600 फ़ीट की ऊँचाई पर बने इस डैम का रिजर्वायर एक शांत व ख़ूबसूरत लेक का स्वरूप लिए हुए है। मुन्नार घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए यह बोटिंग का मज़ा उठाने की लाज़वाब जगह है। पैडल बोट्स, शिकारा बोट्स आदि बोट्स में यहाँ पर पर्यटकों को बोटिंग का लुत्फ़ लेते देखा जा सकता है। झील के किनारे लंबे-लंबे पेड़ों के तले पेड़ों के कटे हुए तनों से बने बेंचों जैसे प्लेटफार्म पर बैठकर कभी झील की निश्छलता तो कभी बनस्पतियों से लदे पहाड़ों की निश्चलता को निहारना एक ऐसा अनुभव है जो आपको यहाँ पर बार-बार आने के लिए विवश करता है।
झील के किनारे बैठकर निहारते हुए इसका विस्तार अंतहीन मालूम पड़ता है। अपने अभिभावक समान पहाड़ों की छांव में बहती यह शाँत झील उस बच्ची की तरह है जो चुपके से अपने अभिभावकों का कहना मानती है। झील के किनारे लगी कुछ छोटी चाय नाश्ते की दुकानें भी हैं जो आपको वहाँ कुछ पल और बिताने का एक ख़ूबसूरत बहाना देते नजर आते हैं। यूँ तो ब्रह्मांड की हर चीज़ ईश्वर की बनाई हुई है लेकिन ये जगह ऐसी है जिसे देखकर लगता है कि ईश्वर ने स्वयं अपने हाथों से अपने लिए ही बनाई है तभी तो केरल को गॉड्स ओन कंट्री कहा जाता है।
-सचिन देव शर्मा