
यह फ़ोटो हमारी केरल यात्रा के चिरस्मरणीय पल को याद दिलाती है। इस जगह का नाम है ‘टॉप स्टेशन’। यूँ तो यह जगह तमिलनाडु में पड़ती है लेकिन यह जगह बाहरी दुनिया से केरल के रास्ते ही जुड़ी है। इस जगह पर आप बादलों को अपने साथ साथ उड़ता हुआ देख सकते हैं। अपने आप को बादलों जैसे ही हल्का महसूस कर सकते हैं। यहाँ पर स्वयं को आकाश में पाने जैसे अनुभूति अदभुत है। यहाँ होने वाली बारिश की बूंदे जहाँ आपके तन को भिगोती हैं वहीं आपके मन और मस्तिष्क को भी तरो-ताज़ा कर डालती हैं।

यह जगह मुन्नार-कोडाइकनाल मार्ग पर मुन्नार से करीब तीस किलोमीटर आगे तमिलनाडु के थेनि ज़िले में पड़ती है जो केरल के इडडूकि ज़िले से लगा हुआ है। यहाँ से आप पश्चिमी घाट्स की पर्वतमाला के मनोरम दृश्यों को निहार सकते हैं। यहाँ तक आते हुए कानन देवी हिल्स में पैदा होने वाली बेहतरीन चाय की सुगन्ध आपको यहीं पर रुक जाने को विवश कर देती है। एक समय में कानन देवी हिल्स में पैदा होने वाली मुन्नार की चाय को केरल से तमिलनाडु तक पहुँचाने के लिए यहाँ तक ट्रेन से लाया जाता है। 6000 फ़ीट से भी ज्यादा ऊँचाई पर तब स्थित यह रेलवे स्टेशन कुंडला घाटी का सबसे ऊँचा व अंतिम रेलवे स्टेशन हुआ करता था। रेल से भी पहले चाय को मोनोरेल से यहाँ लाया जाता था। फिर रोपवे के द्वारा नीचे वाले स्टेशन कोत्तगुड़ी तक भेजा जाता था जो ‘बॉटम स्टेशन’ के नाम से जाना जाता था और वहाँ से गाड़ियों पर लादकर बोदिनायक्कनुर रेलवे स्टेशन तक ले जाया जाता और फिर वहाँ से चाय आगे देश के अलग-अलग भागों में व इंग्लैंड भी भेजी जाती थी।

बारह साल में एक बार खिलने वाला फूल नीलकुरिंजी भी इसी क्षेत्र में ही पाया जाता है। इस फूल के खिलने पर चारों तरफ नीली छटा बिखरने लगती है।
-सचिन देव शर्मा